परिचय (Introduction):-
बास्केटबॉल एक टीम में खेलने वाला
खेल है जिसे सर्वप्रथम अमेरिका में खेला गया था। आज यह बहुत ही लोकप्रिय खेल के रूप में पहिचान बना चुका है और इससे सम्बंधित नियमों को निर्मित करने का कार्य बास्केटबॉल फेडरेशन द्वारा किया जाता है। बास्केटबॉल का खेल दो टीमों द्बारा खेला जाता है ,जिसमें पांच -पांच खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी का उद्देश्य गेंद को इस प्रकार फेंकना होता है कि वह विपक्षी खिलाड़ी के क्षेत्र में स्थित बास्केट में जाकर गिरें। गेंद को कोर्ट पर किसी भी दिशा में फेंका या ड्रिबल किया जा सकता है। मुख्यतः यह एक इंडोर गेम होता है परन्तु इसे खुले मैदानों पर भी आयोजित किया जा सकता है। यह दोनों लिंग के खिलाड़ीयों द्वारा खेला जा सकता है तथा सभी आयु वर्ग के व्यक्ति इसमें आसानी से हिस्सा ले सकते हैं। एक कुशल बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने के लिए एक व्यक्ति में स्वस्त तन तथा दिमाग का होना अति आवश्यक होता है। खिलाड़ी की लम्बाई एक महत्वपूर्ण कारक होती है जो यह तय करती है है की व्यक्ति कुशल बास्केटबॉल खिलाड़ी बन सकता है या नहीं और यही कारण है कि लम्बे खिलाड़ीयो को ही टीम में सम्मलित किया जाता है। खेल को जम्प गेंद के साथ आरंभ किया जाता है जो सेण्टर सर्किल से फेंकी जाती हैं। प्रत्येक टीम से एक -एक खिलाड़ी कोर्ट के बीच में आ कर खड़ा होता है और उन दोनों के बीच में रेफरी गेंद को उछालता है दोनों खिलाड़ी हवा में उड़ते हैं और गेंद को पहलेपकड़ने का प्रयास करते हैं। जो खिलाड़ी गेंद को पहले पकड़ लेता है, गेंद उसके कब्जे में चली जाती है। खेल को चार वर्ग में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक वर्ग में 10 मिनट का अंतराल दिया जाता है। जितनी बार भी एक टीम के खिलाड़ी गेंद को विपक्षी टीम के पाले में स्थित बास्केट में फेंकने में सफल होता है ,उसी आधार पर उन्हें अंक प्रदन किये जाते हैं और खेल के अंत में अधिकतम अंक बनाने वाली टीम को विजेता घोषित कर दिया जाता है।
खेल है जिसे सर्वप्रथम अमेरिका में खेला गया था। आज यह बहुत ही लोकप्रिय खेल के रूप में पहिचान बना चुका है और इससे सम्बंधित नियमों को निर्मित करने का कार्य बास्केटबॉल फेडरेशन द्वारा किया जाता है। बास्केटबॉल का खेल दो टीमों द्बारा खेला जाता है ,जिसमें पांच -पांच खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी का उद्देश्य गेंद को इस प्रकार फेंकना होता है कि वह विपक्षी खिलाड़ी के क्षेत्र में स्थित बास्केट में जाकर गिरें। गेंद को कोर्ट पर किसी भी दिशा में फेंका या ड्रिबल किया जा सकता है। मुख्यतः यह एक इंडोर गेम होता है परन्तु इसे खुले मैदानों पर भी आयोजित किया जा सकता है। यह दोनों लिंग के खिलाड़ीयों द्वारा खेला जा सकता है तथा सभी आयु वर्ग के व्यक्ति इसमें आसानी से हिस्सा ले सकते हैं। एक कुशल बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने के लिए एक व्यक्ति में स्वस्त तन तथा दिमाग का होना अति आवश्यक होता है। खिलाड़ी की लम्बाई एक महत्वपूर्ण कारक होती है जो यह तय करती है है की व्यक्ति कुशल बास्केटबॉल खिलाड़ी बन सकता है या नहीं और यही कारण है कि लम्बे खिलाड़ीयो को ही टीम में सम्मलित किया जाता है। खेल को जम्प गेंद के साथ आरंभ किया जाता है जो सेण्टर सर्किल से फेंकी जाती हैं। प्रत्येक टीम से एक -एक खिलाड़ी कोर्ट के बीच में आ कर खड़ा होता है और उन दोनों के बीच में रेफरी गेंद को उछालता है दोनों खिलाड़ी हवा में उड़ते हैं और गेंद को पहलेपकड़ने का प्रयास करते हैं। जो खिलाड़ी गेंद को पहले पकड़ लेता है, गेंद उसके कब्जे में चली जाती है। खेल को चार वर्ग में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक वर्ग में 10 मिनट का अंतराल दिया जाता है। जितनी बार भी एक टीम के खिलाड़ी गेंद को विपक्षी टीम के पाले में स्थित बास्केट में फेंकने में सफल होता है ,उसी आधार पर उन्हें अंक प्रदन किये जाते हैं और खेल के अंत में अधिकतम अंक बनाने वाली टीम को विजेता घोषित कर दिया जाता है।
बास्केटबॉल के कौशल :-
बास्केटबॉल के खेल में विभिन्न प्रकार के कौशलों का प्रयोग किया जाता है ,जो इस प्रकार हैं -
(1) प्रारंभिक स्थिति
(2) पासिंग
(3) गेंद को संचालित करना
(4) जंपिंग
(5) दौड़
(6) पिवट
(7) ड्रिबलिंग
(8) गेंद पकड़ना
(9) चकमा देना
(10) शूटिंग
(11) प्रतिक्षेप
(1) प्रारंभिक स्थिति :-
बास्केटबॉल के खेल में खिलाड़ी कि गतिविधि केवल उसकी प्रारंभिक स्थिति पर ही निर्भर करती है इसलिए बास्केटबॉल के खेल में प्रारंभिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह आक्रमण तथा बचाव करने वाले खिलाड़ीयों पर लागु होता है। खिलाड़ी की प्रारंभिक स्थिति ही उसे किसी दिशा में क्रियाशील होने में सहायता करती है। यही कारण है कि सभी खिलाड़ियों को प्रारम्भिक स्थिति को भली प्रकार से ग्रहण करना आवश्यक होता है।
(2) पासिंग :-
बास्केटबॉल खेल में पासिंग कौशल बहुत महत्वपूर्ण कौशल होता है जिसके द्वारा गेंद को अपने नियंत्रण में रखने के लिए तथा उसे विपक्षीटीम के मैदान में स्थित बास्केट की तरफ ले जाने के लिए खिलाड़ी उपयोग करते हैं। पासिंग का अर्थ होता है गेंद को अपने ही टीम के किसी खिलाड़ी के तरफ इस प्रकार इस तरह से फेंकना कि उसे विपक्षी टीम का खिलाड़ी अपने कब्जे में न ले सके। यह तकनीक बास्केटबॉल खेल के लिए जितना अधिक आवश्यक है ,उतना ही अधिक कठिन होता है इसे भली प्रकार से प्रयोग करना आना चाहिए। इस कौशल को सीखने के लिए खिलाड़ी को कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है।
(3) गेंद को संचालित करना :-
बास्केटबॉल एक ऐसा खेल है जिसमे खिलाड़ीगेंद को अपने हाथों के अलावा शरीर के किसी अन्य भाग से छू नहीं सकते। इस प्रकार गेंद को संचालित करने के लिए खिलाड़ी के हाथों तथा उनकी उंगुलियां का विशेष स्थान होता है। ऐसा करते समय खिलाड़ी को अपने हाथों की अँगुलियों को सही स्थान पर रखना चाहिए। गेंद के केंद्र बिंदु से अँगुलियों को हटा कर रखना चाहिए और उन्हें
इस प्रकार से फैलाना चाहिए कि वह एक दूसरे सामानांतर - सी प्रतीत होनी चाहिए। गेंद को भली प्रकार से पकड़ने के लिए सदैव हाथों की अँगुलियों का प्रयोग किया जाना चाहिए और इसके लिए कभी भी हथेली का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से गेंद हाथ से फिसल सकती है और विपक्षी टीम के खिलाड़ी द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
इस प्रकार से फैलाना चाहिए कि वह एक दूसरे सामानांतर - सी प्रतीत होनी चाहिए। गेंद को भली प्रकार से पकड़ने के लिए सदैव हाथों की अँगुलियों का प्रयोग किया जाना चाहिए और इसके लिए कभी भी हथेली का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से गेंद हाथ से फिसल सकती है और विपक्षी टीम के खिलाड़ी द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
(4) जंपिंग :-
एक बास्केटबॉल खिलाड़ी को कई बार गेंद को लेकर हवा में उछालना पड़ता है जो विभिन्न कारणों से किया जा सकता है। ऐसा वह गेंदको अन्य खिलाड़ी को पास करने के लिए भी कर सकता है और ऐस गोल करने का लिए भी कर सकता है। जंपिंग से यहाँ यह तात्पर्य है कि हवा में ऊँची से ऊँची कूद लगा पाना। एक कुशल बास्केटबॉल खिलाड़ी में न केवल तीव्रता से दौड़ने की क्षमता होनी चाहिए बल्कि उसमें ऊँची कूद लगाने की कला को भी होनी चाहिए।
(5) दौड़ :-
विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को पर क्रियान्वित करने के लिए बास्केटबॉल खिलाड़ीयों के पास जो साधन उपलब्ध होता है वह होता है दौड़। विभिन्न स्थितियों में बास्केटबॉल के खिलाड़ियों द्वारा विभिन्न प्रकार की दौड़ का प्रयोग किया जाता है।
(6) विपट :-
बास्केटबॉल का खेल एक ऐसा खेल है जिसमें गेंद को अपने नियंत्रण में रखने के लिए या वह अपने किसी खिलाड़ी को पास करने के लिए किसी भी दिशा में घूम सकता है और उसके द्वारा कोर्ट पर घूमने की कला को ही विपट का नाम दिया गया है।
(7) ड्रिब्लिंग :-
बास्केटबॉल खेल का एक महत्वपूर्ण कौशल होता है ड्रिब्लिंग जिसे आक्रमण करने वाले खिलाड़ियों तथा सुरक्षा करने वाले खिलाड़ियों ,दोनों प्रकार के खिलाड़ियों द्वारा प्रयोग किया जाता है और दोनों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस कौशल को यदि सरल भाषा में व्यक्त किया जाय तो गेंद को कोर्ट पर एक खिलाड़ी द्वारा चलाना ही ड्रिबलिंग कहलाता है। (8) गेंद पकड़ना :-
गेंद को पकड़ने के लिए सबसे आवश्यक बात जिस पर खिलाड़ी को ध्यान रखना चाहिए वह यह होती है कि यह कभी भी यह प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए कि गेंद उसके पास आएगी बल्कि उसे गेंद की तरफ बढ़ना चाहिए और उसे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए परन्तु उसे ऐसा करते वक्त उसे कभी गेंद की तरफ झपटना नहीं चाहिए। उसे अपने हाथों को आगे की तरफ रखना चाहिए और उसे सही अवसर पर हाथों की सहायता से पकड़ लेना चाहिए और उसके पश्चात् अपने हाथों को गेंद के साथ अपनी छाती की खींचना चाहिए (9) चकमा देना :-
बास्केटबॉल के खेल में सभी खिलाड़ियों का मुख्य उद्देश्य गेंद को अपने नियंत्रण में रखकर उसे बास्केट में डालना होता है और उससे अधिक से अधिक अंक प्राप्त करना होता है। गेंद को नियंत्रित करने के लिए प्रायः एक खिलाड़ी को विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को चकमा देना पड़ता है जिसे तकनिकी भाषा में फेटिंग करना और साधारण भाषा में चकमा देना कहा जाता है।
(10) शूटिंग :-
गोल को दागने के लिए जिस साधन या शास्त्र को प्रयोग किया जाता है ,वह होता है गेंद को बास्केट में शूट करना और उस कौशल को शूटिंग कहा जाता है। शूटिंग एक ऐसा कौशल है जिसके बिना एक खिलाड़ी अधूरा माना जायेगा।यदि खिलाड़ी को शटिंग के अलावा बास्केटबॉल के सभी कौशल का पूर्ण ज्ञान हो तो वह कभी भी एक कुशल बास्केटबॉल खिलाड़ी नहीं बन पायेगा। अन्य सभी कौशल ,जिनका प्रयोग इस खिल में किया जाता है ,शूटिंग के खुशाल की सहायक मानी जा सकती है। (11) प्रतिक्षेप (रिबाउंड) :-
प्रतिक्षेप या रिबाउंड उस स्थिति को कहते है जब किसी टीम का कोई खिलाड़ी गोल करने के उद्देश्य से गेंद को बास्केट में फेंकता है परन्तु वह बास्केट में प्रविष्ट होने के स्थान पर जाकर बैक बोर्ड से टकरा जाती है तो उसे स्थिति में जमीन की तरफ आती हुई गेंद को दोबारा पकड़ लेना प्रतिक्षेप या रिबाउंड कहलाता है। इस प्रकार से प्रायः गोआल दागने का प्रयास करते समय होता है और इसके पश्चात् टीम के खिलाड़ी द्वारा गेंद को फिर से पकड़ लेना बहुत लाभकारी तथा महत्वपूर्ण साबित होता है क्योंकि उस समय खिलाड़ी बास्केट के समीप ही खड़ा होता है और वह उसी समय गोल करने का प्रयास दोबारा कर सकता है।
बास्केटबॉल के नियम
कोर्ट का स्वरूप :-
बास्केटबॉल को इंडोर गेम की श्रेणी मेंरखा जाता है अर्थात इसे खेलने के लिए ज्याद लम्बे चौड़े मैदान की जरूरत नहीं होती और इसे बड़े से हाल के भीतर भी आसानी से खेला जा सकता है। ध्यान में रखने वाले बात यह यही कि खेल के लिए निर्धारित कोर्ट आयताकार और ठोस धरातल होना चाहिए और उसमे किसी भी तरह के बाधा अथवा उठान - ढलान नहीं होनी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में बास्केटबॉल का कोर्ट 28 मी. लम्बा और 15 मी. चौड़ा होना चाहिए।
आजकल सभी देश अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को ध्यान में रखकर ही खेलों का प्रशिक्षण देते हैं ,इसलिए सभी जगह सामान्यतः इसी आकर के कोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है। बास्केटबॉल की प्रतियोगिता यदि किसी हाल के भीतर खेली जा रही है तोउस हाल के छत की ऊंचाई कम से कम 7 मीटर होनी चाहिए। खेल के दौरान खिलाड़ियों के सुरक्षा के लिए एक समान प्रकार व्यवस्था का होना भी जरूरी है और यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि प्रकाश इकाई जैसे बल्ब या ट्यूब लाइट ऐसे स्थान पर लगे होने चाहिए, जिससे खिलाड़ियों की आँखों पर इनकी सीधी चमक न पड़े अन्यथा उनके खेल में बधा आ सकती है।
आजकल सभी देश अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को ध्यान में रखकर ही खेलों का प्रशिक्षण देते हैं ,इसलिए सभी जगह सामान्यतः इसी आकर के कोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है। बास्केटबॉल की प्रतियोगिता यदि किसी हाल के भीतर खेली जा रही है तोउस हाल के छत की ऊंचाई कम से कम 7 मीटर होनी चाहिए। खेल के दौरान खिलाड़ियों के सुरक्षा के लिए एक समान प्रकार व्यवस्था का होना भी जरूरी है और यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि प्रकाश इकाई जैसे बल्ब या ट्यूब लाइट ऐसे स्थान पर लगे होने चाहिए, जिससे खिलाड़ियों की आँखों पर इनकी सीधी चमक न पड़े अन्यथा उनके खेल में बधा आ सकती है।
कोर्ट का सीमांकन :-
खेल के दौरान चूँकि कोर्ट का स्थान खेल में महत्वपूर्ण होता है इसलिए यह आवश्यक है कि कोर्ट के रेखाओं का सीमांकन भली प्रकार से किया जाय ,नियमों के अनुसार कोर्ट के आकर का निर्धारण करने वाली रेखा की चौड़ाई कम से कम 0. 05 मीटर होनी चाहिए और यह धरातल के रंग के विपरीत रंग की होनी चाहिए ताकि खिलाड़ियों को आसानी से दिखाई दे सके। उदाहरण के लिए यदि धरातल का रंग सफ़ेद है तो सीमांकन रेखा काली या किसी अन्य गहरे रंग की होनी चाहिए। टूटी फूटी या अधमिटी रेखाओं के खेल में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। इस खेल में खिलाड़ियों को लगातार भागते रहना होता है इसलिए कोर्ट के सीमा रेखाओं से दर्शकों के बैठने का स्थान और विज्ञापन के बोर्ड भी कम से कम दो मिटर की दूरी पर होने चाहिए। कोर्ट को चिन्हित करने वाली लंबवत रेखाओं को पार्शव रेखाएं कहा जाता है ,जबकि चौड़ाई में पड़ी रेखाओं को अंत रेखा का नाम दिया गया है।
मध्य वृत्त :-
कोर्ट के बीचों बीच एक वृत्त बना होता है जिसे केंद्रीय अथवा मध्य वृत्त कह सकते है। इसका अर्धव्यास 0. 80 मीटर होना चाहिए और ऐसेअर्धव्यास को वृत्त के बाहरी भाग से मापा जाता है। इसे तरह केंद्रीय रेखा पाशर्व रेखाओं के ठीक बीच में कोर्ट को दो भागों में विभाजित करने के लिए खींची जाएगी और इसी के दोनों ओर दोनों टीमों के पालों का निर्धारण किया जायेगा। टीमों के पालों को भी दो भागों में बाँटा जा सकता है। इसमें पाले का वह भाग जो विपक्षी टीम की बास्केट के पीछे अन्तः सीखा और केंद्रीय रेखा के किनारे के मध्य में आता है टीम के आगे का क्षेत्र कहलाता है और पाले का अन्य भाग केंद्रीय रेखका सहित टीम का पीछे का क्षेत्र माना जाता है।
बास्केट एवं अर्धवृताकार क्षेत्र :-
यह स्थान कोर्ट का हिस्सा है जो दोनों टीमोंके पाले की पाशर्व रेखाओं के भीतर दो वृतों में चिन्हित होता है। बड़ा अर्धवृत पाशर्व रेखा के दोनों तरु 1. 25 मीटर का स्थान छोड़कर अंकित किया जाता है। इस अर्धवृत्ताकार के भीतर ही बास्केट और उसके इर्द - गिर्द एक और वृत्त अंकित किया जाता है। भीतरी वृत्त का अर्धव्यास 6. 25 मिटेर का होता है और इसके बाहरी आधा भाग को सामान्य
सीखा से जबकि भीतरी आधे भाग को भग्न रेखा से चिन्हित कियाजाता है। यह वृत्त पाशर्व रेखाओं के समानांतर अन्तः रेखाओं पर समाप्त हो जाता है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अन्तः रेखाओं के भीतरी किनारे के मध्य बिंदु से बनाये गए वृत्त के केंद्र बिंदु का फासला 1. 575 मीटर ही होनी चाहिए। यह सीमांकन कोर्ट के दोनों ओर ही टीमों के लिए एक समान किया जाता है।
सीखा से जबकि भीतरी आधे भाग को भग्न रेखा से चिन्हित कियाजाता है। यह वृत्त पाशर्व रेखाओं के समानांतर अन्तः रेखाओं पर समाप्त हो जाता है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अन्तः रेखाओं के भीतरी किनारे के मध्य बिंदु से बनाये गए वृत्त के केंद्र बिंदु का फासला 1. 575 मीटर ही होनी चाहिए। यह सीमांकन कोर्ट के दोनों ओर ही टीमों के लिए एक समान किया जाता है।
विविध खेल क्षेत्र :-
खेल के दौरान पाले की रेखाओं के अनुरूप ही खिलाड़ीयों को अपने खेल का निर्धारण और निष्पादन करना जरुरी होता है। इसके अंतगत कुछ भाग को नियंत्रित क्षेत्र कहा जाता है और कुछ को मुक्त क्षेपण क्षेत्र की श्रेणी में रखा जाता है। अब हम यह जानेंगे कि नियंत्रित क्षेत्र और मुक्त क्षेपण क्षेत्र में क्या अंतर होता है। नियंत्रित क्षेत्र वह भाग होता है ,जिनकी परिधि अन्तः सखाओं और मुक्त क्षेपण रेखाओं से निकलने वाली रेखाओं द्वारा निर्धारित होती है।
फ्री थ्रो रेखाएं और क्षेत्र :-
पाशर्व रेखा से 5. 80 मीटर की दूरी पर बनी 3. 6मीटर लम्बी रेखा को फ्री थ्रो रेखा कहा जाता है और इसी तरह प्रतिबंधित क्षेत्र और फ्री थ्रो लाइन के मध्य बिंदु को 1. 80 मीटर के अर्धव्यास वाले अर्धवृत के बीचोंबीच वाले क्षेत्र भी होता है जो सीमान्त रेखा के भीतर किनारे से 1. 80 मीटर के फासले पर स्थित हॉट है। इस क्षेत्र के सीमांकन के लिए टेढ़ी रेखा पर माप लिया जाता है , जिसके लिए सीमान्त रेखा पर 85 सेंटीमीतर चौड़ा और 10 सेंटीमीटर लंबा चिन्ह लगाया जाता है। कोर्ट में इस तरह के तीन गलियारे बनाये जाते हैं और पहले हलियारे के बाद ०. 30 मेटर लंबा नूट्रल जोन होता है।
बोनस लाइन :-
बास्केट वाले रिंग के ठीकनीचे के बिंदु से 6. 25 मीटर की दूरी पर बनाये जाने वाले अर्धवृत को बोनस लाइन कहा जाता है।
बैक बोर्ड :-
कोर्ट के आकर प्रकार जान लेने के बाद अब खेल के एक और
महत्वपूर्ण भाग अर्थात बैक बोर्ड के आकर के बारे में जान लेना जरूरी है। इसी बैक बोर्ड पर बास्केट लगाई जाती है जो इस खेल का मूल आधार होता है। कोर्ट के दोनो ओर दोनों टीमों के लिए बैक बोर्ड बने होते हैं। इस बैक बोर्ड को मैदान के दोनों किनारों पर अंतिम रेखाओं के सामानांतर मजबूती से गाड़ा जाता है यह बैक बोर्ड 0. 03 मीटर मोती लकड़ी या फिर किसी अन्य ठोस पारदर्शी पदार्थ से बनाए जा सकते है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह बोर्ड एक ही टुकड़े से बना हो अर्थात इसमें कीड़ी तरह का कोई जोड़ न हो। बोर्ड की लम्बाई 1. 80 मीटर और चौड़ाई 1. 05 मीटर होनी चाहिए और जिन खंबों पर बोर्ड टिका रहता है उनके बीच की दूरी एक मीटर होनी चाहिए। बोर्ड के निचले सरे की कोर्ट के फर्श से दूरी 2. 75 होनी चाहिए। बैक बोर्ड के किनारों को 0. 05 मीटर मोती रेखा से चिन्हित किया जाता है और इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि बैक बोर्ड को चिन्हित करने वाली रेखा उसके पृष्ठ भाग के रंग से एकदम भिन्न हो ताकि खिलाड़ियों को उसे देखने में कोई परेशानी न हो।
महत्वपूर्ण भाग अर्थात बैक बोर्ड के आकर के बारे में जान लेना जरूरी है। इसी बैक बोर्ड पर बास्केट लगाई जाती है जो इस खेल का मूल आधार होता है। कोर्ट के दोनो ओर दोनों टीमों के लिए बैक बोर्ड बने होते हैं। इस बैक बोर्ड को मैदान के दोनों किनारों पर अंतिम रेखाओं के सामानांतर मजबूती से गाड़ा जाता है यह बैक बोर्ड 0. 03 मीटर मोती लकड़ी या फिर किसी अन्य ठोस पारदर्शी पदार्थ से बनाए जा सकते है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह बोर्ड एक ही टुकड़े से बना हो अर्थात इसमें कीड़ी तरह का कोई जोड़ न हो। बोर्ड की लम्बाई 1. 80 मीटर और चौड़ाई 1. 05 मीटर होनी चाहिए और जिन खंबों पर बोर्ड टिका रहता है उनके बीच की दूरी एक मीटर होनी चाहिए। बोर्ड के निचले सरे की कोर्ट के फर्श से दूरी 2. 75 होनी चाहिए। बैक बोर्ड के किनारों को 0. 05 मीटर मोती रेखा से चिन्हित किया जाता है और इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि बैक बोर्ड को चिन्हित करने वाली रेखा उसके पृष्ठ भाग के रंग से एकदम भिन्न हो ताकि खिलाड़ियों को उसे देखने में कोई परेशानी न हो।
टीमें :-
प्रत्येक टीम में दस खिलाड़ी होते हैं ,हालांकि मैच के समय हमें कोर्ट में दोनों ही तरफ से केवल पांच - पांच खिलाडी ही खेलते हैं ,लेकिन बास्केट- बॉल चूँकि बहुत भागदौड़ तथा फुर्तीला खेल है इसलिए मैच के दौरान किसीखिलाडी के थक जाने पर अथवा किसी को चोट लग जाने पर उसके स्थान पर दुसरे खिलाड़ी को मैदान में भेजने का प्रावधान होता है। जिन प्रतियोगिताएं ने तीन से अधिक गेम का मैच होता है , वहां टीम में 12 खिलाड़ी रखने का प्रावधान होता है। इनमें कोर्ट में तो पांच -पांच खिलाड़ी ही उतरते हैं ,लेकिन स्थानापन्न अथवा अतिरिक्त खिलाड़ियों की संख्या बढ़ा दी जाती है। मैच शुरू होने के बाद दोनों ही टीमों के अतिरिक्त खिलाड़ियों को कोर्ट के बाहर ही रखना होता है और कोर्ट के भीतर मौजूद खिलाडी अधिकारी की अनुमति से ही बहार जा सकते हैं। इसी तरह कोर्ट के बाहर मौजूद खिलाड़ी उस समय तक अतिरिक्त ही रहते हैं, जब तक कि उन्हें कोच से किसी खिलाड़ी के स्थान पर कोर्ट में उतरने की अनुमति नहीं मिल जाती।
खेल के नियम :-
खेल की अवधि :-
मैच को दो बीस -बीस मिनट के दो हाफ अथवा सत्र में खेला जाता है और दोनों हाफ के बीच में मध्यांतर , जिसमे खिलाड़ी दस मिनट तक विश्राम करते हैं। आवश्यकता होंने पर विश्राम अर्थ मध्यांतर के समय को 15 मिनट तक भी बढ़ाया जा सकता है। किसी टूर्नामेंट अथवा प्रतियोगिता में इस सम्बन्ध में पहले से नियम निर्धारित कर लिया जाता है और फिर हर मैच में मध्यांतर का समय सामान ही आता है। किसी एक मैच के लिए इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है। बीस - बीस मिनट के दो सामान्य हाफ के खेल के बाद मैच के विजेता का फैसला न हो तो अर्थात दोनों ही टीमों के सामान अंक हों तो खेल पांच - पांच मिनट के अतिरिक्त सत्रों में चलता रहता है। पहले हाफ में टीमें टॉस करके बास्केट का फैसला करती हैं और उसके बाद निरंतर पाले बदले जाते हैं। यदि खेल समाप्ति के समय और या फिर पहला हाफ ख़त्म होने के संकेत के साथ ही कोई टीम फ़ाउल कर देती है तो उसके लिए अतिरिक्त समां देने का प्रवदहं है ताकि फाऊल करने वाली टीम को कोई फायदा न हो और फाऊल झेलने वाली टीम को उसका पूरा मुआवजा मिल सके।
खेल का प्रारंभ :-
खेल शुरू करवाने के लिए रेफरी दोनों टीमों के कप्तानों के बीच टॉस करवाता है। टॉस जीतने वाली टीम ही यह फैसला करती है कि उसे किस पाले में खेलना है हालांकि मैच के मध्यांतर के बाद दोनों ही टीमों के पाले बदल जाते है। लेकिन मैच के शुरू में अपनी पसंद का पाला चुनने का अधिकार टॉस जीतने वाले कप्तान को दिया जाता है। अतिरिक्त अवधि क सत्रों में भी टीमें अपने पाले आपस में बदल लेती हैं।
टॉस के बाद पाले का निर्धारण होने पर रेफरी दोनों टीमों के पांच - पांच खिलाडियों की मौजदगी में गेंद को केंद्रीय वृत्त से ऊपर की ओर उछाल देता है और इसके साथ ही खेल शुरू हो जाता है। रेफरी द्वारा इस तरह से गेंद उछलने को जम्प बॉल कहा जाता है। दूसने हाफ और अतिरिक्त समय के प्रत्येक हाफ में भी खेल जम्प बॉल से ही शुरू होता है। खेल शुरू होने के बारे में एक और नियम का पालन किया जाता है, जिसके अनुसार खेल शुरू होने के समय दोनों टीमों के पांच -पांच खिलाडियों का मैदान में उपस्थित होना आवश्यक होता है और यदि खेल शुरू होने के समय तक केवल एक ही टीम मैदा में पहुंची हो तो दूसरी टीम के आगमन का 15 मिनट तक इन्तजार किया जाता है और उसके बाद दूसरी टीम के अनुपस्थित मानकर कोर्ट में मौजूद टीम को ही मैच का विजेता घोषित कर दिया जाता है।
खेल शुरू करने के लिए रेफरी द्वारा गेंद उछालने के समय दोनों टीमों का एक -एक खिलाडी आने पाले की तरफ के अर्धवृत में पांव रखकर खड़े रहते है। और उनका दूसरा पांव कोर्ट के बीचों बीच खींची रेखा के केंद्र के पार होता है। दोनों खिलाड़ियों के निर्धारित मुद्रा में खड़ा होने के बाद रेफरी गेंद को उप्पेर की ओर उछलता है।





















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