Introduction(परिचय )
यह सबसे पहले इंग्लैंड में 1873 में खेला गया था। बैडमिंटन का खेल खेलना बहुत आसान है | इसमें खिलाड़ी को रैकिट के सहायता से शटल को इस प्रकार से हिट करना होता है कि वह नेट को पार करके विपक्षी खिलाड़ी के पाले में पहुंच जाय | शटल इस प्रकार से निर्मित की जाती है कि वह थोड़ी सी ताकत के साथ हिट करने पर हवा में उछल जाता है |
आज बैडमिंटन का खेल दोनों लिंग तथा आयु वर्ग के व्यक्तियों द्वारा खेला जाता है | यह खेल एकल तथा युगल दोनों रूपों में खेली जा सकती है | अकल खेल में दोनों टीमों में एक -एक खिलाड़ी होते हैं जबकि युगल खेल में दोनों टीमों में दो-दो खिलाड़ी होते हैं | खेल को जीतने के लिए खिलाड़ी को अपने विपक्षी खिलाड़ी को हराना आवश्यक होता हैं और इसके लिए उसे अपने विपक्षी खिलाड़ी की अपेक्षा अधिक अंको को बटोरना आवश्यक होता है |
एक कुशल बैडमिंटन खिलाड़ी बनने के लिए व्यक्ति को केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना ही अनिवार्य नहीं होता बल्कि उसे मानसिक रूप से भी बहुत प्रबल होना चाहिए | वह खिलाड़ी जो शटल को पहले हिट करता है वह "सर्वर" कहलाता है जबकि जो खिलाड़ी शटल को बाद में हिट करता है वह "रिसीवर" कहलाता है | दोनों खिलाड़ी को सर्वर तथा रिसीवर बनने का अवसर प्रदान किया जाता है |
बैडमिंटन के आधारभूत स्ट्रोक
1 . सीधे हाथ के स्ट्रोक
1. सीधे हाथ के स्ट्रोक :-
सीधे हाथ के स्ट्रोक में शटल को शरीर के दाईं और से से मारा जाता है | इस स्ट्रोक को मरने हेतु खिलाड़ी को थोड़ा दाईं ओर घुमाना पड़ता है तथा पैर शरीर तथा बाजु स्ट्रोक मारने की स्थिति में लाने पड़ते हैं | खिलाड़ी का चेहरा कोर्ट की साइड रेखा की ओर होना चाहिए तथा शरीर का जाल से (90 अंश का कोण ) बनना चाहिए |
2. सिर के ऊपर का स्ट्रोक :-
इस स्ट्रोक में शटल को सिर के ऊपर से हाथ तथा रैकिट को जरा ऊपर ले जाकर मारा जाता है | इस स्ट्रोक को मरते समय खिलाड़ी को अपना बायां पैर अपनी दाएं पैर से 14 - 16 इंच आगे , शरीर शटल के नीचे तथा शरीर का भर पिछले पैर पर रहना चाहिए | शरीर का भार पिछले पैर से अगले पैर पर लाने के साथ रैकिट के चपटे भाग से शटल को हिट करना चाहिए | बैडमिंटन खेल में यह सर्वाधिक प्रभावशाली स्ट्रोक है | यह टौस स्मैश तथा ड्राप शॉट में प्रयोग किया जाता है |
3. उलटे हाथ के स्ट्रोक :-
यह स्ट्रोक खिलाड़ी उस समय खेलता है जब शटल खिलाड़ी के शरीर के बाएं ओर आ रही हो उसे वापस करने हेतु इस स्ट्रोक का प्रयोग किया जाता है जिससे शरीर सुगमतापूर्वक घूम सके | हाथ तथा कंधे भी रैकिट के बैक स्विंग के साथ पीछे चले जाने चाहिए | इस स्ट्रोक में यह आवश्यक है कि शटल से दूर रहा जाय तथा ठीक समय पर आगे स्विंग के साथ रैकिट तथा बाजू को पूरा आगे फैला कर शटल को खेला जा सके | इस स्ट्रोक में यह ध्यान रखने की बात है कि शटल मारते समय अँगूठे को हैंडल की साइड में तथा प्रथम उंगली को नीचे कर लिया जाय | ऐसा करने से रैकिट को सही धक्का मिलता है |
दूसरे स्ट्रोक :-
नैट स्ट्रोक :-
मूलभूत शॉट :-
लैब शॉट :-
(क) मूलतः यह एक रक्षात्मक शॉट है जो शटल को विपक्ष की उसके कोर्ट में ऊँचा तथा पीछा भेजता है | यह कोर्ट के किसी भी स्थान से सर के ऊपर से या नीचे से खेला जा सकता हैं | ड्राइव शॉर्ट :-
यह एक सीधा या चपटा स्ट्रोक है जो नैट पार करने हेतु भूमि के सामानांतर मारा जाता है | यह आक्रमण का एक शक्तिशाली शास्त्र माना जाता है तथा शटल को तीव्र गति से मारने में सफल रहता है | ड्राइव, फोर हैंड तथा बैक हैंड दोनों प्रकार से खेला जा सकता है। ड्राइव में घुटने एवं कंधे के बीच के स्तर पर शटल से संपर्क होना चाहिए अर्थात इसमें शटल घुटने एवं कंधे की ऊंचाई के मध्य मारी जाती है तथा शटल , मारते समय , फैले हुए हाथ की दूरी पर होनी चाहिए। यह स्ट्रोक अधिकतर साइड रेखा पर खेला जाता है किन्तु क्रॉस कोर्ट भी खेल सकते हैं। अधिकतर यह स्ट्रोक युगल खेल में आक्रामक स्ट्रोक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
स्मैश करना :-
इस स्ट्रोक में शटल को नीचे की ओर इतनी तीव्र गति से मारा जाता है की रैली समाप्त हो जाय तथा अंक अर्जित कर लिए जायं। स्मैश करने हेतुखिलाड़ी को पीछे जाकर शटल के नीचे स्थान लेना चाहिए। रैकिट को कलाई मोड़करपीछे स्विंग करना चाहिए तथा शटल को सिर के ऊपर से मारना चाहिए। शटल हिट करते समय हाथ एवं रैकिट पूरा ऊपर उठा होना चाहिए तथा कलाई के झटके का प्रयोग करना चाहिए।
ड्राप शॉट :-
ड्राप शॉट एक ऐसा शॉट है जो सिर के ऊपर से मारा जाता है। यह फोरहैंड बैकहैंड तथा स्मैश द्वारा खेला जा सकता है। इन स्ट्रोकों में शटल को नेट के ऊपर इस प्रकार मारा जाता है कि वह नेट के जितना हो सके पास ही गिरे। ड्रॉप शॉट में प्रारंभिक क्रिया ओवरहेड शॉट के समान ही है परन्तु इसमें कलाई का झटका थोड़ा हल्का रहता है। इसमें शटल को प्यार से नेट के ऊपर से उतारते हैं। बैडमिंटन के नियम
बैडमिंटन कोर्ट का माप :-
बैडमिंटन का खेल एकल तथा युगल , दोनों रूपों में खेला जा सकता है और इन दोनों प्रकार के खेलो के लिए कोर्ट का माप अलग -अलग होता है कोर्ट का आकर आयताकार होना चाहिए। अकल खेलों के लिए कोर्ट की लम्बाई 13. 40 मी. तथा चौड़ाई 17 मी. होनी चाहिए जबकि युगल खेलो के लिए यह 13. 40 मी. लम्बा तथा 6. 10 मी. चौड़ा होना चाहिए। कोर्ट को निर्मित करने के लिए सफेद तथा लाल रंग की रेखाओं को रेखांकित किया जाना चाहिए। इन रेखाओं की चौड़ाई 4 से. मी. होनी चाहिए। जाल के दोनों तरफ 6. 5 इंच की रेखाओं को खींचा जाना चाहिए। साइड रेखा के सामानांतर एक रेखा को खींचा जाना चाहिए जो कोर्ट को दो बराबर भागों में विभक्त कर सके। कोर्ट के दोनों भागो को अलग -अलग नाम दिया जाता है, क्रमशः बयां सर्विस कोर्ट तथा दायां सर्विस कोर्ट। बैंक गैलेरी का आकर 2. 6 इंच जबकि साइड गैलरी का आकर 1. 6 इंच होना चाहिए। जाल :-
जाल को निर्मित करने के लिए गहरे रंग का धागा प्रयोग किया जा सकता है। जाल की मोटाई 15 मि.मी. से अधिक परन्तु 20 मि.मी से कम होनी चाहिए। यह पोस्ट से पोस्ट तक भली प्रकार से बांधा जाना चाहिए। इसकी गहराई 67 से.मि होनी चाहिए। फर्श से जाल का ऊपरी भाग 152 से.मी की ऊंचाई पर स्थिति होना चाहिए जबकि पोस्ट 155 से.मी ऊंचाई पर होना चाहिए। जाल के अंतिम भाग तथा पोस्ट के बीच में किसी भी प्रकार का कोई रिक्त स्थान नहीं होना चाहिए। यदि आवश्यकता हो तो जाल की सम्पूर्ण गहराई को अंतिम भाग में बांटा जा सकता है। पोस्ट :-
जाल को सीधा रखने के लिए मैदान में दो पोल गाड़ना होता है। इसे पोस्ट कहते हैं। इस पोस्ट की ऊंचाई मैदान से कम से कम 159 से.मी. होती है। नेट का कढ़ा रखने के लिए वह भली प्रकार से स्थिर रहना चाहिए। यह साइड बाउंडरी रेखा के छेत्र में स्थित होता है।
खेल की अवधि :-
उचित सर्विस :-
साइड का चुनाव:-
त्रुटियाँ :-
लैट :-
वेशभूषा :-
साइड परिवर्तित करना :-
स्कोरिंग :-
प्रयोग किये जाने वाले उपकरण :-
रैकिट :-
शटल :-
बैडमिंटन में अधिकारी :-
अम्पायर :-
अम्पायर का काम होता है। सभी आवश्यक सामग्री खिलाड़ियों को प्राप्त की जा चुकी है , इसका ध्यान भी अम्पायर ही रखता है।
जैसा की ज्ञात है कि खेल को आरम्भ करने से पूर्व सिक्का उछाला जाता है, अम्पायर को यह सुनिश्चित करना होता है कि यह कार्य सही प्रकार से की गई है और कोई भी खिलाड़ी इस क्रिया में जानबूझ कर लाभ प्राप्त तो नहीं कर रहा है। खिलाड़ीयों द्वारा अर्जित अंकों का पूरा ब्यौरा वह रिकॉर्ड करेगा। खेल की अवधि में होने वाले अंतराल को वह तेजी से कहेगा ताकि खिलाड़ी तथा दर्शकों को इस बात का पता चल जाय।
पुरूषों के खेल मे यदि कोई खिलाड़ी 14 अंक या महिलाओं के खेल में यदि कोई खिलाड़ी 10 अंक प्राप्त कर लेता है तो तेजी से खेल अंक या गेम पॉइंट कहने का काम भी अम्पायर का होता है। अम्पायर का एक महत्वपूर्ण कार्य खिल को बिना रुके संपन्न करने का भी है। उसे यह देखना होता है की कोई भी खिलाड़ी जानबूझ कर खेल को रोक कर न रखे और इस प्रकार किसी भी प्रकार का कोई लाभ उसे प्राप्त न हो। यदि कोई खिलाड़ी खेलते वक्त जख्मी हो गया है तो वह खेल को रोक सकता है और उपचार का लिए व्यवस्था करता है। यदि कोई खिलाड़ी को कोई प्रश्न करना है तो वह उनका उत्तेर देने के लिए जिम्मेदार होता है और उन्हें सही उत्तेर देना का कर्तव्य होता है।
इस प्रकार दर्शकों तथा खिलाड़ीयों को खेल की स्थिति के बारे में समय -समय से अवगत कराना अम्पायर का कार्य होता है। अम्पायर को अधिकारिओं में सबसे महत्वपूर्ण समझा जाता है और उसका स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता है।
सर्विस जज :-
2. यदि सर्व करते समय शटल सर्वर के कमर से ऊँची हो तो इसे एक त्रुटि माना जाता है जिसे निम्न संकेत द्वारा दर्शाया जाता है -














very nice blog.
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